एक राजा था।
उसकी तीन रानियाँ थीं,
कौशल्या , सुमित्रा , कैकयी।
राजा के चार बेटे थे,
राम , लक्ष्मण , भरत , शत्रुघ्न।
मंथरा नाम की एक दासी थी,
बहुत चालाक , बहुत होशियार।
भरत उसे प्यारा था,
राजा उसे बनाना था।
राजा बोला क्या चाहती हो कैकयी रानी,
राज भरत को , वनवास राम को।
राम को वनवास हुआ,
लक्ष्मण सीता ने साथ दिया।
छोटी सी एक कुटी बनाई ,
राज दुलार सब ठुकराया।
सीता को उसने पाना था।
स्वर्ण हिरन उसने देखा था ,
जिसने सीता का मन मोह लिया।
मेरे प्रभु हिरन चाहिये , हिरन चाहिये।
राम गए हिरन की खोज ,
लक्ष्मण सीता को वन में छोड़।
देर हुई जब राम ना आये,
सीता का मन बहुत घबराये।
बचाओ , बचाओ आवाज़े आयीं,
तुम भी जाओ लक्ष्मण भाई।
लक्ष्मण ने एक रेखा बनाई,
बाहर ना आना सीता माई।
रावण साधु बनकर आया,
सीता को आवाज लगाई,
भिक्षां देहि , भिक्षां देहि।
भिक्षा लेकर सीता आयी,
रावण ने रेखा पार कराई।
खाली कुटिया राम ने देखि,
दर दर भटके सीता की खोज,
सीते सीते आवाज लगाई।
युद्ध हुआ जब घन घन घोर ,
रावण को तब मार गिराया ,
सीता को आज़ाद कराया।
अयोध्या वासियों ने ख़ुशी मनाई ,
सबने मिलकर दिवाली मनाई।
धूम धड़ाक , धूम धड़ाक ,
चकरी बम्ब पटाखे लायी।
इनसे बचना तुम भी भाई।
मित्रो , यदि आपके पास कोई अच्छी कविता है जो आप इस ब्लॉग पर प्रकाशित करना चाहते हैं तो मुझे rekhashar76@gmail.com पर बताएं। Friend, if you have any good poem which you wish to publish at this blog, then please let me know at rekhashar76@gmail.com
उसकी तीन रानियाँ थीं,
कौशल्या , सुमित्रा , कैकयी।
राजा के चार बेटे थे,
राम , लक्ष्मण , भरत , शत्रुघ्न।
मंथरा नाम की एक दासी थी,
बहुत चालाक , बहुत होशियार।
भरत उसे प्यारा था,
राजा उसे बनाना था।
राजा बोला क्या चाहती हो कैकयी रानी,
राज भरत को , वनवास राम को।
राम को वनवास हुआ,
लक्ष्मण सीता ने साथ दिया।
छोटी सी एक कुटी बनाई ,
राज दुलार सब ठुकराया।
लंका का राजा रावण था ,
हा हा हा , हा हा हा,सीता को उसने पाना था।
स्वर्ण हिरन उसने देखा था ,
जिसने सीता का मन मोह लिया।
मेरे प्रभु हिरन चाहिये , हिरन चाहिये।
राम गए हिरन की खोज ,
लक्ष्मण सीता को वन में छोड़।
देर हुई जब राम ना आये,
सीता का मन बहुत घबराये।
बचाओ , बचाओ आवाज़े आयीं,
तुम भी जाओ लक्ष्मण भाई।
लक्ष्मण ने एक रेखा बनाई,
बाहर ना आना सीता माई।
रावण साधु बनकर आया,
सीता को आवाज लगाई,
भिक्षां देहि , भिक्षां देहि।
भिक्षा लेकर सीता आयी,
रावण ने रेखा पार कराई।
खाली कुटिया राम ने देखि,
दर दर भटके सीता की खोज,
सीते सीते आवाज लगाई।
हनुमान ने हाथ बढ़ाया ,
वानर सेना साथ में लाया।युद्ध हुआ जब घन घन घोर ,
रावण को तब मार गिराया ,
सीता को आज़ाद कराया।
अयोध्या वासियों ने ख़ुशी मनाई ,
सबने मिलकर दिवाली मनाई।
दिवाली आई दिवाली आई ,
खुशियों की ये रात लायी।धूम धड़ाक , धूम धड़ाक ,
चकरी बम्ब पटाखे लायी।
इनसे बचना तुम भी भाई।
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