कैसे मिली बाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा (How Balmiki got inspiration to write Ramayana)

How Balmiki got inspiration to write Ramayana

महर्षि बाल्मीकि जी का आश्रम तमसा नदी के किनारे पर था। एक दिन महर्षि बाल्मीकि तमसा नदी के किनारे अपने आश्रम के बाहर बैठे हुए प्रकति सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। जल में मछलियां अठखेलियां कर रही थीं तो वृक्षों पर पक्षी कल्लोल कर रहे थे। बड़ा ही सुन्दर प्राकतिक दृश्य था।

नदी किनारे एक वृक्ष पर क्रोंच पक्षी ( सारस अथवा बगुला प्रजाति का पक्षी ) का एक जोड़ा प्रेम कीड़ा में निमग्न था। उनकी अठखेलियों से महर्षि का ध्यान उनकी और आकृष्ट हुआ। वे बड़े प्यार से उन्हें निहार रहे थे। तभी अचानक एक बाण नर पक्षी को आकर लगा और वह तड़पता हुआ धरती पर आ गिरा और उसके प्राण पखेरू उड़ गए। यह देख मादा क्रोंच पक्षी अत्यंत विलाप करने लगी। महृषि बाल्मीकि का ह्रदय यह दृश्य देखकर एक ओर अत्यंत करुणा और दूसरी ओर अत्यंत क्रोध से भर आया।  तभी उनकी दृष्टि एक बहेलिये पर पड़ी जिसके हाथ में धनुष और बाण थे और क्रोधवश बाहेलिये को देखते ही सहसा ही उनके मुख से ये शब्द निकल गए :

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौञ्चमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ।।

संस्कृत का यह वाक्य आठ आठ अक्षरों के चार चरणों , कुल बत्तीस अक्षरों से बना हुआ था। इसको उन्होंने श्लोक का नाम दिया था। यह संस्कृत का श्लोक मानव इतिहास की पहली काव्य रचना थी। इस कारण महर्षि बाल्मीकि को आदि कवि भी कहा गया है। इसका अर्थ है ,'हे निषाद !तुम्हें कभी भी शांति नहीं मिलेगी क्योंकि तुमने कामरत क्रौंच -क्रौंची में से एक की बिना किसी अपराध के हत्या कर दी है। बाल्मीकि का ध्यान जब श्लोक के अर्थ पर गया तो उन्हें बहुत ग्लानि हुई। वह पछताने लगे कि उन्होंने व्यर्थ ही निषाद को इतना कठोर श्राप दिया।

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वे अभी इसी चिंता में  लीन ही थे की तभी ब्रह्मा जी ने उन्हें दर्शन दिए और कहा ,' हे  महर्षि , आप के मुख से यह श्लोक अनायास ही नहीं निकला है, वरन इसमें हमारी इच्छा भी निहित है। नारद जी द्वारा आपको सुनाई गयी कथा के अनुसार  रघुकुल में भगवान विष्णु श्री राम के रूप में इक्ष्वाकु वंश में राजा  दशरत के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे जो  सत्यवादी , गुणी , धर्मनिष्ठ , बलवान , वचनपालक , सहृदय , परोपकारी तथा अनुपम सौंदर्य के स्वामी होंगे।  हम आपको  दिव्य दृष्टि प्रदान करते हैं जिसके द्वारा आपको उनका जीवन चरित्र और घटनाएं साक्षात् दिखाई देंगे। आपसे अनुरोध है की आप अनुष्टुप छंद रूप में राम के संपूर्ण चरित्र रूप का वर्णन करे। इस प्रकार आप जो भी लिखेंगे वह सत्य एवं यथार्थ होगा तथा आपके द्वारा लिखी रामायण संसार में अमर हो जाएगी।

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ब्रह्मा जी के आशीर्वाद स्वरुप महर्षि ने रामायण की रचना आरंभ की। उन्होंने चौबीस हज़ारो श्लोकों में पूरी रामायण लिखी। आदि कवि द्वारा लिखी गयी इस महाकाव्य रचना को अदि रामायण भी कहा जाता है।

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3 comments:

  1. Jab balmik aur ram ka kalkhand ek tha to esme batane per ramayan likhney ki batt kaha se ayi kripaya margdarhan kare

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